Chhattisgarh News: फंस गए DEO साहब: कांग्रेस विधायक के कहने पर नियम विरुद्ध जारी किया आदेश, अब एमएलए साहब कह रहे…

Chhattisgarh News: फंस गए DEO साहब: कांग्रेस विधायक के कहने पर नियम विरुद्ध जारी किया आदेश, अब एमएलए साहब कह रहे…

Chhattisgarh News: बिलासपुर। राज्य में भाजपा की सरकार की बीते साढ़े 9 महीने से चल रही है। प्रशासनिक से लेकर राजनीति से जुड़े लोग और आम आदमी को भी यह बात अच्छी तरह पता है। बिलासपुर के डीईओ टीआर साहू को ही बस यह बात पता नहीं, या फिर जानबुझकर सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों व सरकार की अवहेलना कर रहे हैं। दरअसल डीईओ ने विपक्ष के विधायक की अनुशंसा पर एक लेक्चरर को नियम विरुद्ध तरीके से मस्तूरी का एडीबीओ के प्रभार पर नियुक्ति दे दी थी।

सबसे पहले NPG ने बिलासपुर डीईओ के इस करामात की खबर प्रकाशित किया था। अब जब मामला तूल पकड़ा और विवाद गहराया तब डीईओ साहू ने गेंद मस्तूरी विधायक दिलीप लहरिया के पाले में डाल दी। विधायक लहरिया अपनी बात से मुकर गए। वे बोले उनको तो कुछ याद नहीं डीईओ से किसकी और किस बात की सिफारिश की थी। बहरहाल NPG की खबर के बाद डीईओ साहू ने अपना विवादित आदेश वापस ले लिया है।

डीईओ के आदेश वापस लेने के बाद अब प्रशासनिक से लेकर राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा छिड़ गई है कि बिलासपुर डीईओ ने विपक्षी विधायक को उपकृत क्यों किया। वह भी नियम कायदे से बाहर जाते हुए। राज्य में भाजपा की सत्ता है और प्रशासनिक अफसरों को इस बात का इशारा भी है कि जहां भाजपा के विधायक नहीं है वहां विधायक प्रत्याशी की अनुशंसा व इशारा को तव्वजो देना है। यह सवाल भी उठ रहा है कि डीईओ ने मस्तूरी विधायक की अनुशंसा पर काम करने से पहले पूर्व मंत्री डा कृष्णमूर्ति बांधी से सहमति लेना जरुरी क्यों नहीं समझा। अब जबिक मामला तूल पकड़ लिया है डीईओ साहू ने अपने विवादित आदेश को वापस ले लिया है।

एक दूसरे पर डालने का चला खेल

डीईओ से जब यह पूछा गया कि बिल्हा ब्लाक के एक व्याख्याता को मस्तूरी ब्लाक का एडीबीओ का प्रभार सौंपने के संंबंध में आदेश किसके कहने पर जारी किया गया है। डीईओ ने साफ कहा कि मस्तूरी विधायक लहरिया ने उनकी अनुशंसा की थी। लिहाजा आदेश जारी करना पड़ा। मस्तूरी विधायक लहरिया ने हायर सेकेंडरी स्कूल कर्मा के लेक्चरर रमेश कुमार गोपाल को एडीबीओ मस्तूरी बनाने की अनुशंसा की थी। इस बीच डीईओ ने बताया कि उसने अपना आदेश वापस ले लिया है।

नियमों मापदंडों का डीईओ ने उड़ाई धज्जियां

नियमों पर गौर करें तो एडीबीओ की नियुक्ति राज्य शासन स्तर पर होती है। जिले में विशेष परिस्थिति में अगर एडीबीईओ नियुक्त करना है तो उसके लिए कलेक्टर का अनुमोदन आवश्यक है। कलेक्टर के अनुमोदन के बिना नियुक्ति नहीं की जा सकती। बिलासपुर जिले के डीईओ ने तो सबकुछ उलटा कर दिया। विपक्षी विधायक को उपकृत निमयों की अनेदखी करने के साथ ही कलेक्टर को जानकारी देना और अनुमति लेना भी जरुरी नहीं समझा।

पढ़िए मस्तूरी के एमएलए ने क्या कहा,किस अंदाज में अपनी बात से मुकरे

मस्तूरी विकास खंड शिक्षा कार्यालय में एडीबीईओ की नियुक्ति के संबंध में डीईओ से किसके लिए बात हुई थी और मैंने किसके लिए कहा था बहरहाल मुझे याद नहीं है। डीईओ से चर्चा करने के बाद ही कुछ बता पऊंगा। इधर डीईओ ने साफतौर पर कहा कि मस्तूरी एमएलए की अनुशंसा पर ही सब किया है।

डिप्टी सीएम का प्रभार वाला जिला,इस तरह की गफलत

प्रदेश के डिप्टी सीएम अरुण साव बिलासपुर जिले के प्रभारी मंत्री हैं। उनके प्रभार वाले जिले के अफसर कुछ इस अंदाज में काम कर रहे हैं। सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधियों को भनक तक नहीं लग रही है और विपक्षी विधायक को अपनी कुर्सी दांव पर लगाकर उपकृत कर रहे हैं। प्रशासनिक से लेकर सियासी गलियारे में इस बात की चर्चा जमकर छिड़ी हुई है।

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