Lord Krishna teaches for relationship : हर रिश्ते को निभाने की कला "कृष्ण कन्हैया" में… इस जन्माष्टमी सीखें कान्हा से उनके भक्त

Lord Krishna teaches for  relationship : हर रिश्ते को निभाने की कला "कृष्ण कन्हैया" में… इस जन्माष्टमी सीखें  कान्हा से उनके भक्त

Lord Krishna teaches how every relationship should be maintained :  आज जन्माष्टमी है. इस मौके पर हम आपको भगवान हरि​ विष्णु के 8वें अवतार भगवान श्रीकृष्ण के जीवन के हर पल क्षण के बारे में बताने जा रहे हैं.

श्रीकृष्ण का जीवन हर क्षण हमें कुछ न कुछ सिखाता है. किसी भी रिश्ते को निभाने की जो कला कृष्ण कन्हैया में थी, उससे हम किसी रिश्ते को सरलता के बंधन में बांध सकते हैं.

श्रीकृष्ण (Lord Krishna) सिखाते हैं कि कैसे हर रिश्ते को ईमानदारी से निभाना चाहिए.  प्रेमी हो, दोस्त हो या फिर मित्र हर रिश्ते में भगवान एकदम खरे उतरे और हमें भी इससे सीख लेने की जरुरत है. आइए भगवान श्रीकृष्ण से सीखें रिश्ते निभाना.

राधा रानी से उनका प्रेम

श्री कृष्‍ण के बहुत सारे प्रशंसक और चाहने वाले थे. लेकिन वृंदावन में राधा के प्रति उनका प्रेम सभी को पता है. जब भी भगवान श्री कृष्ण की बात होती है तो उनके नाम के साथ राधा का नाम जुड़ ही जाता है. केवल राधा ही कृष्ण की दीवानी नहीं थी, उनक साथ वृंदावन की कई गोपियां भी कृष्ण को अपना मानती थी. कृष्ण उनके प्रेम का सम्मान करते थे. उन्होंने किसी को ठेस नहीं पहुंचाई. प्रेमी-प्रेमिकाओं को भगवान श्रीकृष्ण से सीखना चाहिए.

सुदामा से मित्रता

सुदामा और कृष्ण की दोस्ती किस को नहीं पता. अमीर, गरीब, ऊंच नीच से कहीं ऊपर उनका रिश्ता था. सुदामा कृष्ण के बचपन के दोस्त थे और सुदामा बहुत गरीब थे उनके पास खानेे तक के लाले पड़े हुए थे लेकिन भगवान ने कभी भी इसमें भेदभाव नहीं किया जब सुदामा उनके पास आए, तक उनकी बिना भेदभाव के सेवा की और दोस्ती निभाई. आज की युवा पीढ़ी इससे सीख सकती है.

 

माता-पिता के प्रति प्यार

भगवान कृष्ण देवकी और वासुदेव के पुत्र थे, लेकिन उनका वृंदावन में पालन-पोषण यशोदा और नंद ने किया था. भगवान कृष्ण नेे दोनों माता-पिता की सेवा की. दोनों माताओं को बराबर स्थान दिया. कृष्ण ने दुनिया को यह सिखाया कि हमारे जीवन में मां-बाप का बड़ा योगदान है. 

हमेशा सत्य का साथ देना

भगवान श्री कृष्ण ने हमेशा सत्य का साथ दिया. बात जब सत्य और असत्य की हुई तो उन्होंने अपने मामा कंस को तक नहीं छोड़ा. उन्होंने मामा कंस का वध किया. इससे हम सीख सकते हैं कि हमेशा सत्य का साथ दें. और सच्चाई का साथ दें.

गुरु के प्रति आदर

भगवान विष्णु का अवतार रूप होने के बावजूद भगवान श्री कृष्ण के मन में अपने गुरुओं के लिए हमेशा सम्मान था. वह जिन संतों और गुरुओं से मिले सबका सम्मान किया. श्री कृष्ण यह सीख देते हैं की आप कितने ही बड़े पद पर पहुंच जाओ लेकिन गुरू का सम्मान हमेशा करो.

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