Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा-हम हस्तक्षेप ना करें तो, क्या लोगों को जहर पिलायेंगे

Bilaspur High Court: हाई कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा-हम हस्तक्षेप ना करें तो, क्या लोगों को जहर पिलायेंगे

Bilaspur High Court: बिलासपुर। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नाराज चीफ जस्टिस ने कहा कि अगर कोर्ट हस्तक्षेप ना करे तो क्या लोगों को जहर पिलाएंगे। लोगों के जानमाल की चिंता भी है या नहीं। लापरवाही के चलते पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाया गया है। जनहित याचिका की अगली सुनवाई के लिए डीबी 23 सितंबर की तिथि तय कर दी है।

धूमा केभाटिया वाइंस से निकलने वाले प्रदूषित पानी की वजह से शिवनाथ नदी में हजारों मछलियों की मौत को लेकर मीडिया में प्रकाशित खबर पर हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया है। जनहित याचिका के रूप में सुनवाई हो रही है। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने कोर्टको बताया कि निरीक्षण के दौरान फैक्ट्री में खामियां मिली थीं। प्रदूषित पानी खजूरी नाले से शिवनाथ नदी में जा रहा था।जांच में यह भी पाया गया है कि जहां फैक्ट्री का जहरीला पानी छोड़ा जा रहा था वहां ऑक्सीजन का स्तर शून्य था। क्षेत्रीय कार्यालय ने 8 लाख 70 हजार रुपए जुर्माना ठोंका है। साथ ही खामियों को दूर करने कहा गया है।

भाटिया वाइंस नेबताया कि कमियां दूर कर ली गई हैं। पेनल्टी जमा कर दी गई है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीविजन बेंच ने कहा कि नियमों के अनुसार फैक्ट्री खोलने पर उचित आदेश जारी करने के लिए पर्यावरण प्रदूषण मंडल स्वतंत्र है।

यह है मामला

मुंगेली जिले के ग्राम धूमा में भाटिया वाइंस फैक्ट्री से निकले प्रदूषित पानी की वजह से शिवनाथ नदी में लाखों मछलियों मर गई थीं।30 जुलाई 2024 को पर्यावरण संरक्षण मंडल ने हाई कोर्ट बताया कि जांच के लिए हाई पॉवर कमेटी बनाई गई है। 13 अगस्त को बोर्ड ने बताया कि 22 और 23 जुलाई को फैक्ट्री का निरीक्षण किया गया था। फैक्ट्री में शर्तों का उल्लंघन करना पाया गया है।

Botling plant की वार्षिक क्षमता 36 हजार किलो लीटर

मंडल की तरफ से बताया कि धूमा में वाइन्स का 2 प्लांट हैं। प्रतिदिन 30 किलो लीटर रेक्टिफाइड स्प्रिट उत्पादन होता है। जिससे हर दिन 360 किलो लीटर अपशिष्ट प्रदूषित पानी का उत्पादन होता है। एक बॉटलिंग प्लांट भी है। जिसकी वार्षिक क्षमता 36 हजार किलो लीटर है। प्रदूषित पानी के उपचार के लिए एक मल्टी-इफेक्ट इवेपोरेटर और आरओ प्लांट है। कीचड़ के लिए एक ड्रायर है। अपशिष्ट जल के उपचार से प्रतिदिन 5 किलो लीटर प्रदूषित पानी बनता है, जिसके लिए एक सोक पिट और एक सेप्टिक टैंक है।

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