Bilaspur High Court: हाईकोर्ट पहुंचा पाटन विधानसभा क्षेत्र का मामला: कोर्ट ने दुर्ग कलेक्‍टर से दो सप्‍ताह में मांगा जवाब

Bilaspur High Court: हाईकोर्ट पहुंचा पाटन विधानसभा क्षेत्र का मामला: कोर्ट ने दुर्ग कलेक्‍टर से दो सप्‍ताह में मांगा जवाब

Bilaspur High Court: बिलासपुर। पांच तालाबों के गहरीकरण और सौंदर्यीकरण के नाम पर ठेकेदार ने बेतहाशा मिट्टी और मुरुम की खोदाई कर डाली। परिवहन करने के बजाय बाजार में बेचना शुरू कर दिया। जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने दुर्ग कलेक्टर व खनिज उप संचालक से पूछा है कि परिवहन ठेके में खनन करने की अनुमति किसने दी है। दोनों अधिकारियों को जवाब पेश करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।मामला दुर्ग जिले में ब्लाक पाटन के ग्राम बठैना का है।

स्थानीय निवासी कृष्ण कुमार वर्मा ने अधिवक्ता बीपी सिंह के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पांच तालाबों के गहरीकरण के नाम पर मुरुम व मिट्टी की खोदाई की गई। परिवहन का ठेका अभिषेक सिंह को दिया गया है। गहरीकरण के दौरान पांचों तालाब से आठ हजार क्यूबिक मीटर मिटटी व मुरुम निकाली गई थी। ठेकेदार को इसका परिवहन करना था। इसके लिए जगह भी बता दी गई थी। याचिका के अनुसार ठेकेदार ने परिवहन करने के बजाय मिट्टी व मुरुम को ऊंची दाम पर बेचने लगा।

परिवहन ठेका के लिए शर्त यह रखी गई थी कि रायल्टी जमा करने की शर्त पर परिवहन करना है। ठेकेदार ने परिवहन के लिए जो शर्त तय की थी उसका सीधा-सीधा उल्लंघन करना शुरू कर दिया है। याचिकाकर्ता ने इस बात की भी शिकायत की है कि ठेकेदार ने तालाबों की बेतहाशा खोदाई भी कर दी है। उसने जब एक इंजीनियर के माध्यम से तालाबों का नापजोख करवाया तब पता चला कि तालाबों से एक लाख क्यूबिक मीटर मिट्टी व मुरुम निकाल ली गई है।

ग्राम पंचायत में ना तो एनओसी है और ना ही कोई रसीद जमा कराई गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मिट्टी व मुरुम से लाखों रुपये कमाने के फेर में तालाबों को जरुरत से ज्यादा खोद दिया गया है। देखने से ही यह भयावह लग रहा है। ना तो यह ग्रामीणों और ना ही मवेशियों के निस्तारी लायक रह गया है। गहरे गड्ढे होने के कारण निस्तारी लायक नहीं रह गया है।

आला अधिकारियों ने नहीं की कार्रवाई

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि इस बात की शिकायत जनपद पंचायत से लेकर कलेक्टर तक की गई है। यह भी बताया गया है कि तालाबों में पानी भरने की स्थिति में यह और भी जानलेवा हो जाएगा। मवेशियों के डुबने के अलावा ग्रामीणों के लिए यह भी खतरा रहेगा। मामले की गंभीरता को बताने के बाद भी आला अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया है। याचिकाकर्ता ने दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है। जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई। प्रकरण की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कलेक्टर दुर्ग व उप संचालक खनिज को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

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