Bilaspur High Court: हाईकोर्ट ने चीफ सेक्रेटरी ने मांगा शपथ पत्र: कोर्ट ने राज्य की इस व्यवस्था में बदलाव की संभावना तलाशने का दिया निर्देश

Bilaspur High Court: बिलासपुर। प्रदेश की जेलों में 15,485 कैदियों को रखने की क्षमता है। वर्तमान में सीखचों के पीछे 19,476 कैदी है। क्षमता से तीन हजार 991 कैदी अधिक है। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर शपथ पत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने प्रदेश में खुली जेल की अवधारणा के संबंध में भी जानकारी मांगी है।
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने खुली जेलों के कार्यान्वयन के संबंध में संभावनाओं का पता लगाने के साथ ही राज्य में खुली जेल के संचालन को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई हो रही है। जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान चीफ़ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र कुमार अग्रवाल ने कहा कि खुली जेल एक अनुकूल वातावरण प्रदान करती है जो अपराधी को वास्तव में जेल से रिहा होने से पहले ही सामाजिककरण करने में मदद करेगी। अच्छी संख्या में ऐसे कैदी हैं जो कुशल पेशेवर हैं। जिनकी सेवाओं का उपयोग किया जा सकता है और बदले में वे अपने भविष्य के लिए कुछ कमा भी सकते हैं।
एक पत्र, जिसके जरिए मिली महत्वपूर्ण जानकारी
डिवीजन बेंच ने जेल में हत्या के एक दोषी के रिश्तेदार द्वारा लिखे गए कई पत्रों काे संज्ञान में लिया। जिसमें लिखा था कि अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति के कारावास के कारण, वे दुख में जीवन जी रहे हैं। पत्र को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए प्रदेशभर के जेलों में बंद कैदियों की केस हिस्ट्री पेश करने का निर्देश दिया था। राज्य शासन ने कोर्ट में इस संबंध में रिपोर्ट पेश किया था।
महिला कैदियों के साथ रहने वाले 82 बच्चे भी जेल में
जेल में महिला कैदियों के साथ रहने वाले 82 बच्चे भी हैं। 340 दोषी जिन्हें 20 साल से अधिक कारावास की सजा दी गई है और उनकी अपील सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। प्रदेश की जेलों की कुल क्षमता 15,485 है, जिसमें से 19,476 कैदी बंद हैं। 1,843 कैदी कुशल पेशेवर हैं। 504 वरिष्ठ नागरिक है। चार कैदियों ने जेल से भागने की कोशिश की थी।
कोर्ट ने कहा-तलाशें आदर्श संभावनाएं
डिवीजन बेंच ने कहा कि जब एक अपराधी जेल में बंद होता है, तो न केवल उस व्यक्ति को परेशानी होती है जिसने अपराध किया है, बल्कि कई बार, जब उक्त अपराधी परिवार का एकमात्र कमाने वाला भी होता है, तो पूरे परिवार को परेशानी होती है। लंबे समय तक कैद से गुजरने के बाद, जब कैदी को उसके जीवन के अंतिम पड़ाव पर रिहा कर दिया जाता है, तो वह किसी भी तरीके से अपना और अपने परिवार का निर्वाह करने में असमर्थ होता है। लिहाजा राज्य का कर्तव्य है कि वह उन सभी संभावनाओं का पता लगाए जो कानून का पालन करने वाले नागरिक के रिहा होने पर सामान्य जीवन जीने में एक कैदी की मदद कर सकती हैं।
महाराष्ट्र, राजस्थान और हिमांचल में सबसे ज्यादा खुली जेल
कोर्ट ने कहा कि भारत में खुली जेल की अवधारणा नई नहीं है। राजस्थान, महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक सक्रिय खुली जेल हैं। महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने अतिरिक्त महाधिवक्ता वायएस ठाकुर के साथ कोर्ट को आश्वस्त किया कि उपलब्ध दस्तावेज और एकत्र किए गए आंकड़ों के माध्यम से जाएंगे और उचित निर्देश लेने के लिए चार सप्ताह का समय देने की मांग की है।






