Chhattisgarh News: आजीवन कारावास के बंदी को रिहा करने के मामले की जांच शुरू: डीजी जेल राजेश मिश्रा ने कहा…

Chhattisgarh News: आजीवन कारावास के बंदी को रिहा करने के मामले की जांच शुरू: डीजी जेल राजेश मिश्रा ने कहा…

Chhattisgarh News: रायपुर। हत्‍या के आरोप में आजीवन करावास की सजा काट रहे एक बंदी को जेल अफसरों ने रिहा कर दिया। 8 दिन बाद जेल के अफसरों को इस गलती का एहसास हुआ तो आनन-फानन में बंद को घर से उठा लाए और फिर से जेल में डाल दिया। इसके साथ ही गुपचुप पूरे मामले को ठंडे बस्‍ते में डाल दिया गया। NPG.NEWS ने आज ही यह ‘एक्सक्लिव’ खबर प्रकाशित की। इससे रायपुर सेंट्रल जेल में हड़कंप मच गया। डीजी जेल राजेश मिश्रा ने केंद्रीय जेल के अफसरों को तलब कर पूरे मामले की जानकारी लेने के लिए साथ ही विभागीय जांच का निर्देश दे दिया।एनपीजी. न्‍यूज के साथ बातचीत में आईपीएस राजेश मिश्रा ने कहा कि विभागीय जांच के निर्देश दे दिए गए हैं, जो भी दोषी होगा उस पर नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी।

जानिये..क्‍या है पूरा मामला

बलौदा बाजार जिले के गिरौदपुरी के पास मड़वा गांव का महावीर पिता छतराम को हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा हुई थी। सजा की 14 साल की अवधि पूरी होने के बाद अच्छे आचरण के लिए छह साल की सजा माफी का प्रस्ताव रायपुर जेल ने सरकार को भेजा था। मगर सरकार ने सजा कम करने से इंकार कर दिया। सरकार का पत्र रायपुर सेंट्रल जेल को भेज दिया गया। इसके बाद भी जेल अधिकारियों ने 4 जून को महावीर को रिहा कर दिया। कैदियों के बीच ये बात फैलने लगी कि बंदी को बिना सरकार की अनुमति सजा माफी देते हुए रिहा कर दिया गया है। इस पर जेल के अधिकारियों को लगा कि बात कहीं उपर तक पहुंच जाएगी तो वे नप जाएंगे। सो, जेल के कुछ कर्मचारियों को महावीर के गांव मड़वा भेजा। उनके साथ आसपास के पूर्व में रिहा हुए कुछ बंदी भी थे। महावीर घर में मिल गया। उसे बताया गया कि जेल में एकाध कागजी औपचारिकता रह गई है उसे पूर्ण कराकर तुम्हें छोड़ दिया जाएगा। मगर 12 जून को जेल पहुंचने के बाद उसे बैरक में डाल दिया गया।

रिहाई का पेपर भी ले गए

बंदी को पकड़ने गई जेल विभाग की टीम ने छलपूर्वक रिहाई का पेपर भी मांग लिया। उसकी पत्नी ने एनपीजी न्यूज को बताया कि उनके पास कोई कागज नहीं है, जिससे वे उपर की कोर्ट में अपील कर सकें। जेल अफसरों ने रिहाई का कागज मांग लिया। सरकार ने सजा माफी से इंकार किया है, उसका आदेश भी नहीं मिला है। परिजनों को करीब हफ्ते भर बाद पता चला कि महावीर को फिर से जेल में डाल दिया गया है, तो मिलने रायपुर आए। यहां कोई जेल अधिकारी या कर्मचारी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। सभी ने इस मामले पर चुप्पी साध ली है।

1998 का मामला

हत्या की घटना 1998 की है। गिरौधपुरी के मड़वा गांव में पारिवारिक जमीन विवाद में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। महावीर समेत कई लोग उसमें आरोपी बनाए गए थे। इस केस में महावीर को लंबे समय बाद जमानत मिली। उसके बाद उम्र कैद की सजा हुई। पिछले 14 सालों से वह जेल में है। जानकारों का कहना है कि अच्छे आचरण के आधार पर छह महीने की सजा माफी हो जाती है। इसके लिए जिस कोर्ट से सजा हुई हो, अभिमत के लिए पेपर भेजा जाता है। इस मामले में बलौदा बाजार कोर्ट ने रिहा करने का अभिमत दे दिया था। इसके बाद सेंट्रल जेल से सरकार को पत्र भेजा गया। सरकार ने इसे अमान्य कर दिया।

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share