वाहन स्वामियों का हल्ला बोल, 80 हजार से ज्यादा वाहनों के थमे पहिये

वाहन स्वामियों का हल्ला बोल, 80 हजार से ज्यादा वाहनों के थमे पहिये

उत्तराखंड में आज 80 हजार से ज्यादा विक्रम, ऑटो, बस और ट्रकों के पहिये थमने से परेशानी खड़ी हो गई। ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर की अनिवार्यता और देहरादून, हरिद्वार जिले में दस साल से पुराने विक्रम, ऑटो बंद करने के विरोध में वाहन स्वामियों ने प्रदेशभर में चक्काजाम किया है। गढ़वाल और कुमाऊं की करीब 20 अलग-अलग यूनियनें इस चक्काजाम में शामिल हुईं। इसका खासा असर  देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जिले में देखने को मिला।

वहीं, ऑटो और बस यूनियनों के वाहन चालक देहरादून के बन्नू स्कूल में एकत्रित हुए जहां से उन्होंने विधानसभा कूच किया। इस दौरान बड़ी संख्या में वाहन स्वामी देहरादून पहुंचे। इस दौरान उन्हें पुलिस ने बेरिकेडिंग लगाकर रोक दिया गया। जिसके बाद वे वहीं सड़क पर धरने पर बैठ गए। वे हाथों में कटोरा लेकर विधानसभा घेराव करने निकले।

इस दौरान वाहन न चलने से लोग सड़कों पर भटकते दिखे। सिटी बस सेवा महासंघ के अध्यक्ष विजयवर्धन डंडरियाल ने कहा कि आरटीए ने केंद्र के नियमों के विपरीत डीजल वाहनों पर प्रतिबंध का निर्णय लिया है। वहीं, परिवहन विभाग ने डोईवाला के ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर में गलत तरीके से वाहनों की फिटनेस अनिवार्य की है। इस पर उनका खुला विरोध है।

सोमवार को विक्रम, ऑटो, सिटी बस यूनियनों के पदाधिकारियों की परिवहन मंत्री चंदन रामदास के आवास पर सचिव अरविंद सिंह ह्यांकी से करीब दो घंटे चली वार्ता विफल हो गई थी। इसके बाद परिवहन सचिव ने सभी जिलों के डीएम, एसएसपी, आरटीओ, एआरटीओ को पत्र भेजकर चक्काजाम होने पर वैकल्पिक व्यवस्था बनाने को कहा था।

उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने फिटनेस टेस्टिंग को त्रुटि रहित बनाने के लिए पांच अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके तहत मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन किया गया है। इसी के तहत ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटरों की व्यवस्था की जा रही है। देहरादून के डोईवाला और ऊधमसिंह नगर के रुद्रपुर में निजी सहभागिता से फिटनेस सेंटर शुरू हो चुके हैं। बाकी जगहों पर सेंटर बनने तक पहले की तरह वाहनों की फिटनेस जांच हो रही है।

मांगें
1- ऑटोमेटेड फिटनेस सेंटर पर वाहनों की फिटनेस जांच अनिवार्यता एक अप्रैल 2023 और जून 2024 तय की गई है। इसी हिसाब से उत्तराखंड में भी अनिवार्यता लागू हो। फिलहाल ऑटोमेटेड फिटनेस अनिवार्यता को खत्म किया जाए।
2- एनजीटी के आदेश के तहत दस साल उम्र पूरी करने वाले ऑटो, विक्रम और अन्य डीजल वाहनों को अपडेट किया जाए। इनका संचालन बंद करने का आरटीए देहरादून का फैसला वापस लिया जाए।
3- प्रदेश के हर जिले में कम से कम दो-दो फिटनेस सेंटर खोले जाएं। तब तक पुरानी व्यवस्था को ही बहाल रखा जाए।

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