Chhattisgarh Teacher Transfer: 16000 शिक्षकों पर लटकी ट्रांसफर की तलवार, नए शिक्षा मंत्री बनते ही शुरू होगा स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण…

Chhattisgarh Teacher Transfer: रायपुर। स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण पर स्कूल शिक्षा विभाग को शिक्षक नेताओं के विरोध का सामना करना पड़ा था। सरकार ने नगरीय और पंचायत चुनाव को देखते युक्तियुक्तकरण को लागू करने से रोका था न कि निरस्त किया। लिहाजा, स्कूल शिक्षा विभाग बिना किसी शोर-शराबे के अपना काम करता रहा। इस कार्य में विभाग को दो-से-तीन महीना लग गया।
अधिकारिक सूत्रों का कहना है, स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के लिए गठित कमेटी ने अपना काम कंप्लीट कर दिया है। सरकार से जैसे ही निर्देश मिलेंगे, युक्तियुक्तकरण पर कार्यवाही शुरू कर दी जाएगी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विधानसभा में भी कहा था कि स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दूर करने युक्तियुक्तकरण किया जाएगा। इसी बात को उन्होंने कुछ दिन पहले स्कूल शिक्षा विभाग की हाई प्रोफाइल बैठक में भी दोहराया। शीर्ष अफसरों से उन्होंने साफ कहा था कि शिक्षकों की कमी दूर करने युक्तियुक्तकरण किया जाए।
नए मंत्री की चुनौती
चूकि मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्कूल शिक्षा विभाग युक्तियुक्तकरण का होमवर्क कर लिया है। मुख्यमंत्री अफसरों को इस संबंध में निर्देशित कर चुके हैं। इसलिए इसमें कोई संशय नहीं कि युक्तियुक्तकरण नहीं होगा। जानकारों का कहना है कि इसके अलावा सरकार के पास कोई चारा भी नहीं है। वैसे भी जब 13 हजार शिक्षक अतिशेष हैं, तो उनसे कम-से-कम सिंगल टीचर वाले स्कूलों में शिक्षकों की कमी दूर की जा सकती है।
13 हजार शिक्षक अतिशेष
छत्तीसगढ़ में 13 हजार अतिशेष शिक्षक बिना काम के पगार ले रहे हैं। इनमें 7300 अतिशेष हैं और स्कूलों के युक्तियुक्तरण के बाद करीब छह हजार शिक्षक और अतिशेष निकल रहे हैं। याने 13 हजार से अधिक शिक्षक एक्सट्रा हैं। कई स्कूलों में बच्चे कम और टीचर ज्यादा हो गए हैं। खासकर शहरो के स्कूल शिक्षकों से भरे पड़े हैं और गांवों में बड़ी संख्या में ऐसे स्कूल हैं, जहां एक भी टीचर नहीं हैं। 100 से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जहां चार-से-पांच शिक्षक हैं और इससे अधिक शिक्षक। दुर्ग शहर के एक मीडिल स्कूल में 90 बच्चों पर 11 शिक्षक तैनात हैं। ये शिक्षकों की पोस्टिंग में भर्राशाही का नमूना है।
300 स्कूल शिक्षक विहीन
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों के स्कूलों में एक तरफ 300 से अधिक स्कूल शिक्षक विहीन हैं और 5500 स्कूलों में सिर्फ एक शिक्षक तैनात हैं। विधानसभा के मानसून सत्र में रायपुर के स्कूलों में शिक्षकों की कमी पर पूछे गए सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने सदन को यह जानकारी दी।
स्कूलों को मर्ज
छत्तीसगढ़ में करीब 4 हजार स्कूल ऐसे हैं, जो एक ही कैंपस में अन्य स्कूलों के साथ चल रहे हैं। और लगभग डेढ़ हजार स्कूल ऐसे हैं, जिनमें बच्चों की संख्या 10 से 20 के बीचे है। इनमें 100 से अधिक ऐसे स्कूल हैं, जहां बच्चे 10 से कम हैं और शिक्षक राष्ट्रीय मानक से कहीं अधिक हैं।
राष्ट्रीय मानक के अनुसार 20 बच्चे होने पर एक स्कूल खोला जा सकता है। ये भी नियम नार्थ ईस्ट या फिर उग्रवाद प्रभावित इलाकों के लिए है। मगर छत्तीसगढ़ में जहां दो-दो, चार-चार बच्चे वाले स्कूलों की संख्या सैकड़ों में हैं। ऐसे स्कूलों के शिक्षको के वेतन पर करोड़ों रुपए स्वाहा किया जा रहा है। हालांकि, अफसरों का कहना है इनमें अधिकांश स्कूल एक ही कैंपस में हैं। याने उन्हें आपस में मर्ज किया जाएगा तो स्कूल शिफ्थ जैसे प्रश्न नहीं आएंगे। स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार 150 के करीब स्कूल ऐसे होंगे, जिनमें पांच-सात बच्चे हैं और उन्हें पास के गांवों में युक्तियुक्तकरण कर शिफ्थ करने की योजना है।
5000 शिक्षक मिलेंगे
स्कूलों के युक्तियुक्तकरण से सरकार में बैठे अधिकारियों का मानना है कि करीब पांच हजार शिक्षक मिल जाएंगे। इस समय पूरे छत्तीसगढ़ में 7300 शिक्षक अतिशेष हैं। पांच हजार को मिला दिया जाए तो अतिशेष शिक्षकों की संख्या में लगभग 13 हजार हो जाएंगी। अफसरों का मानना है कि इससे शिक्षकों की कमी काफी कुछ कम हो जाएगी। इस समय 300 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं और 5500 स्कूल सिंगल टीचर के भरोसे चल रहे हैं।