Allahabad High Court Verdict: 'स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं' इलाहाबाद हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला!

Allahabad High Court Verdict: 'स्तन पकड़ना और पायजामे का नाड़ा तोड़ना रेप नहीं' इलाहाबाद हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला!

Allahabad High Court Verdict: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि किसी लड़की के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना रेप या रेप की कोशिश का आरोप लगाने के लिए पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि यह केवल यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है। यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने यूपी के कासगंज के पटियाली थाने में दर्ज एक मामले की सुनवाई के दौरान की।

क्या था मामला?

मामला कासगंज की एक 11 वर्षीय लड़की से जुड़ा है, जिसके साथ आरोपियों आकाश और पवन ने कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया। आरोपियों ने लड़की के स्तनों को पकड़ा, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ा और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। हालांकि, राहगीरों ने बीच-बचाव किया और आरोपी मौके से भागने में सफल रहे।

ट्रायल कोर्ट ने इस मामले को बलात्कार के प्रयास के रूप में देखा और आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376 (बलात्कार) और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए बुलाया। हालांकि, आरोपियों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया।

हाईकोर्ट की टिप्पणी

जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य बलात्कार के प्रयास का अपराध नहीं बनाते। उन्होंने कहा, “पीड़िता के स्तनों को पकड़ना, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश करना रेप या रेप की कोशिश नहीं माना जा सकता। यह केवल यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आता है।”

अदालत ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि आरोपी ने बलात्कार की तैयारी के चरण से आगे कदम बढ़ाया था। अदालत ने आरोपियों के खिलाफ आरोपों को IPC की धारा 354-बी (नंगा करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) और POCSO एक्ट की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत बदल दिया।

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