CG Teacher: खजाने को 7000 करोड़ का झटकाः सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 1 लाख शिक्षकों को देना होगा एरियर्स, अफसरों की एक चूक से सरकार की बढ़ी मुश्किलें

CG Teacher: खजाने को 7000 करोड़ का झटकाः सुप्रीम कोर्ट के फैसले से 1 लाख शिक्षकों को देना होगा एरियर्स, अफसरों की एक चूक से सरकार की बढ़ी मुश्किलें

CG Teacher: रायपुर। सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल लीव पिटिशन खारिज होने के बाद सरकार को बड़ा झटका लगा है। इस फैसले के बाद सरकार को अब एक लाख से अधिक शिक्षकों को 10 से अधिक समय का क्रमोन्नत वेतनमान का एरियर्स देना पड़ेगा। मोटे अनुमान के तौर पर ये राशि करीब सात हजार करोड़ होगी। वो भी ऐसे मसले पर सरकार को हार का सामना करना पड़ा है, जिस क्रमोन्नत वेतनमान के आदेश को सरकार ने रद्द कर दिया था।

कल सोमवार को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट से एसएलपी खारिज होने की सूचना आई, एक ही चर्चा होने लगी कि एक अफसर की लापरवाही कहें या फिर चूक, सरकार को मुसीबत में डाल दिया है। सरकारी खजाने पर इतनी बड़ी चोट कभी नहीं पड़ी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राज्य सरकार के सामने कानूनी बाध्यता भी है कि इसे पूरा किया जाए। शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने का मतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार को फौरी तौर पर सात हजार करोड़ का इंतजाम करना होगा। इतनी बड़ी राशि का इंतजाम कहां से होगा और शिक्षकों को भुगतान किस हिसाब से करेंगे, शासन स्तर पर इसी बात की चर्चा बीते दो दिनों से हो रही है।

0 कौन-कौन होगा क्रमोन्नत वेतनमान का हकदार

वह सभी शिक्षक जो पहले शिक्षाकर्मी के रूप में नियुक्त हुए और बाद में जिनका पदनाम परिवर्तित हुआ है।जिन्होंने एक ही पद पर 10 साल से अधिक सेवा पूर्ण कर लिया। ऐसे सभी शिक्षकों को एक क्रमोन्नत वेतनमान मिलेगा। ऐसे शिक्षक जिन्होंने एक ही पद पर रहते हुए 20 साल की सेवा पूर्ण की उन्हें दो क्रमोन्नत वेतनमान की पात्रता होगी । उदाहरण के लिए कोई व्याख्याता पद पर 1998 में भर्ती हुआ और 2018 तक उसे पदोन्नति नहीं मिली तो सीधे तौर पर उसे दो क्रमोन्नति की पात्रता है ।

0 क्रमोन्नत पाने वाले शिक्षकों की कितनी है संख्या

प्रदेश में संविलियन होने वाले शिक्षकों की कुल संख्या 1,48,000 है। शिक्षकों का यह आंकड़ा छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार है। प्रदेश में 1,30,000 से भी अधिक शिक्षाकर्मियों की भर्ती वर्ष 2014 तक हो चुकी थी। यदि कोई शिक्षक 2014 में भी भर्ती हुआ है और उसे प्रमोशन नहीं मिला है तो ऐसे शिक्षक भी 2024 में क्रमोन्नत वेतनमान के पात्र होंगे।

0 कोर्ट का आदेश इसलिए महत्वपूर्ण

हाई कोर्ट के निर्णय में पंचायत और स्कूल शिक्षा विभाग दोनों को क्रमोन्नति की राशि देने का आदेश जारी किया गया है। इसका स्पष्ट अर्थ है कि दोनों सेवाकाल को क्रमोन्नत वेतनमान के लिए जोड़ा गया है।

0 व्याख्याता एलबी को अब तक नहीं मिला प्रमोशन

प्रदेश में व्याख्याता (एल.बी) को किसी प्रकार का कोई प्रमोशन मिला ही नहीं है। शिक्षक और सहायक शिक्षक को भी बीते दो वर्ष में ही प्रमोशन मिला है। इसका सीधा सा मतलब है कि अधिकांश शिक्षाकर्मी जो अब शिक्षक बन चुके हैं वे सभी क्रमोन्नत वेतनमान के हकदार हैं । जिन शिक्षाकर्मियों को किसी भी प्रकार का प्रमोशन नहीं मिला या जिन्हें प्रमोशन मिला लेकिन प्रमोशन मिलने से पहले 10 साल उनके पूर्ण हो चुके थे वह सभी क्रमोन्नत वेतनमान पाने के हकदार हैं। इसका सीधा सा मतलब है कि बड़ी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जिन्हें शासन को लाभ देना होगा और बहुत से शिक्षक तो ऐसे हैं जिन्हें दो क्रमोन्नत वेतनमान मिलना है ।

0 सरकार के खजाने पर कितना आएगा भार

सरकार के खजाने पर क्रमोन्नत वेतनमान देने से बड़ा भार आने वाला है। यही वजह है कि यह माना जा रहा है कि सरकार के पास जितने भी विकल्प हैं वह सभी विकल्पों को आजमा कर देखेगी। एक शिक्षक को यदि 10 लाख रुपए भी क्रमोन्नत वेतनमान के तौर पर देना पड़े जैसा कि सोना साहू के प्रकरण में गणना हुआ था और 70 हजार शिक्षकों को भी यह राशि देनी पड़े तो सीधे तौर पर 7 हजार करोड़ का भार आएगा। जबकि माना जा रहा है कि वास्तविक एरियर्स राशि इससे भी कही अधिक होगी ।

0 क्या है सोना साहू का मामला

सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सोना साहू ने अपनी याचिका में बताया था कि वर्ष 2005 में सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी। एक ही पद पर 10 साल से काम करने के बाद भी क्रमोन्नत वेतनमान नहीं दिया गया था। इसे लेकर सोना साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के आदेश के बाद सीईओ जनपद पंचायत ने क्रमोन्नत वेतनमान का सोना साहू को लाभ दिया और फिर वापस भी ले लिया। इसे लेकर सोना साहू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। सिंगल बेंच ने याचिका खारिज कर दी थी। सीईओ के आदेश को कोर्ट ने सही ठहराया था। सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती देते हुए सोना साहू ने रिट याचिका दायर की। डिवीजन बेंच ने याचिका को स्वीकार करते हुए 2015 से क्रमोन्नत वेतनमान का निर्देश दिया। शासन ने रिव्यू पिटीशन दायर किया था। इसे कोर्ट ने रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट में शासन ने एसएलपी दायर की थी।

0 ऐसे समझे, कैसे मिलेगा लाभ

1. जो शिक्षक एक ही पद पर 10 साल की नौकरी पूरा कर लिया है क्रमोन्नत वेतनमान के पात्र होंगे।

2. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का राज्य शासन को पालन करना होगा।

3. राज्य शासन ने सामान्य आदेश जारी कर सकता है। या ऐसे भी आदेश जारी कर सकता है कि जिनके पक्ष में कोर्ट का फैसला आया है उनको लाभ दिया जाएगा।

जानिये क्या है क्रमोन्नति वेतनमान?

जिस क्रमोन्नति वेतनमान को लेकर शिक्षकों के बीच बवाल मचा है, उसे शिक्षक भी अब भूल गए थे कि क्रमोन्नति वेतनमान भी कोई इश्यू था। असल में, प्रमोशन न होने पर शिक्षकों ने 2013 में सरकार पर प्रेशर बढ़ाया तो तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह ने 10 साल की सेवा अवधि पूर्ण कर लिए शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान का दिया जाएगा। मगर इससे आंदोलन नहीं थमा। शिक्षकों के लगातार विरोध को देखते सरकार ने एक साल बाद फिर शिक्षकों के समतुल्य वेतनमान देने का ऐलान किया। मगर इसके साथ ही क्रमोन्नति वेतनमान का आदेश निरस्त कर दिया। इसके बाद बात आई गई, समाप्त हो गई। मगर इसी बीच कभी सोना साहू ने क्रमोन्नति वेतनमान के लिए याचिका दायर कर दी। जबकि, नया वेतनमान के बाद सरकार ने इसे आदेश जारी कर निरस्त कर दिया था। मगर 50 हजार में से सिर्फ एक शिक्षिका ने दिमाग दौड़ाया कि क्रमोन्नति के समाप्ति के बाद भी अगर कोर्ट में जाएं तो क्रमोन्नति का भी लाभ मिल सकता है। और ऐसा ही हुआ। सोना साहू कोर्ट से जीती। मगर अभी पैसा नहीं मिला है उन्हें। क्योंकि, बाकी शिक्षकों की धड़ाधड़ याचिका लगनी शुरू हो गई।

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