Raipur-Vishakhapatanam Expressway: मंत्रालय से 15 किमी पर केंद्र के 300 करोड़ का डाका, SDM को सस्पेंड करने में तीन साल लग गए, भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहा राजस्व विभाग?…

Raipur-Vishakhapatanam Expressway: मंत्रालय से 15 किमी पर केंद्र के 300 करोड़ का डाका, SDM को सस्पेंड करने में तीन साल लग गए, भ्रष्टाचारियों को संरक्षण दे रहा राजस्व विभाग?…

Raipur-Vishakhapatanam Expressway: रायपुर। महाराष्ट्र के समृद्धि मार्ग की तरह रायपुर से विशाखापट्टनम तक बनने वाले सिक्स लेन एक्सप्रेस वे के लिए जमीनों के अधिग्रहण में छत्तीसगढ के अफसरों ने मुआवजे का बड़ा स्कैम कर डाला।

नेशनल हाईवे अथॉरिटी के विजिलेंस विभाग ने दिल्ली से इसकी जांच करने अपने प्रोजेक्ट अफसर को पत्र भेजा। रायपुर के प्रोजेक्ट आफिसर ने 2022 से 2024 के बीच रायपुर कलेक्टर को पांच रिमाइंडर भेजा…इसकी जांच कराई जाए। एनपीजी न्यूज के पास पांचों रिमाइंडर है।

नेशनल हाईवे के अधिकारियों के पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। उल्टे 326 करोड़ में से बचे 78 करोड़ के लिए भूमाफियाओं ने किसानों को आगे कर सिक्स लेन का काम रुकवा दिया।

2019 से लेकर 2021 तक के बीच इस घोटाले का अंजाम दिया गया। इसमें 32 खसरों को आठ गुना मुआवजा देने के लिए 247 टुकड़ों में बांट कर एसडीएम ने 35 करोड़ के मुआवजे को 326 करोड़ बना दिया।

एनपीजी न्यूज लगातार इस इस स्कैम को प्रमुखता के साथ उठाता रहा। केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नीतीन गडकरी की नाराजगी पर पीडब्लूडी अरुण साव ने उन्हें अश्वस्त किया था कि केंद्र के किसी प्रोजेक्ट में अब बाधा नहीं आने दिया जाएगा। इसके दो घंटे के भीतर अभनपुर में किसानों ने काम रोक दिया था।

एनपीजी न्यूज ने इस शीर्षक से खबर प्रकाशित की…नीतीन गडकरी की मीटिंग के दो घंटे के भीतर सिक्स लेन का काम रोका। इसके बाद सिस्टम हरकत में आया। मगर सिर्फ एक तहसीलदार और दो पटवारी को सस्पेंड कर पल्ला झाड़ लिया।

विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन 25 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने मुआवजा घोटाला को उठाते हुए कलेक्टर की जांच रिपोर्ट पर सवाल पूछा। इस पर राजस्व मंत्री ने कलेक्टर की जांच से अनभिज्ञता जता दी। जबकि, रायपुर कलेक्टर इस सवाल से महीने भर पहले जांच रिपोर्ट राजस्व विभाग को सौंप चुके थे। जाहिर है, इस स्कैम पर पर्दा डालने राजस्व विभाग के अधिकारियों ने मंत्री से सदन में गलतबयानी करा दी।

एनपीजी न्यूज अगर इस स्कैम को उजागर न करता और विधानसभा में मामला नहीं उठता तो राजस्व विभाग एसडीएम को भी सस्पेंड नहीं कराता। ताज्जुब है कि पिछले तीन साल से सिस्टम में बैठे सभी अफसरों को मालूम है कि मंत्रालय के बगल में केंद्र सरकार के 300 करोड़ रुपए को चूना लगा दिया गया है। इसके बाद भी तीन साल तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। विधानसभा में 25 फरवरी को नेता प्रतिपक्ष ने उठाया। स्पीकर ने मंत्री को सख्त निर्देश दिया कि अगली बार राजस्व विभाग का जब भी प्रश्नकाल होगा, जांच रिपोर्ट के बारे में बताई जाए। इसके बाद भी सिस्टम को एसडीएम निर्भय साहू को सस्पेंड करने में सात दिन लग गए।

क्या है मामला?

बताते हैं, 3ए के प्रकाशन के बाद संबंधित इलाके में जमीनों की खरीद-बिक्री के साथ उसके खसरे, बटांकन पर रोक लग जाती है। मगर अभनपुर के नायकबांधा और उरला गांव में 3ए के प्रकाशन के बाद 32 प्लाटों को 247 छोटे टुकड़ों में बदल दिया ताकि नेशनल हाईवे से ज्यादा मुआवजा लिया जा सके।

एक परिवार में कई बंटवारा

राजस्व विभाग के अधिकारियों ने भूमाफियाओं के साथ मिलकर जमीन के 32 खसरों को 247 छोटे-छोटे टुकड़ों में बांट दिया। इनमें पति-पत्नी, बेटा-बेटी, नौकर-चाकर के नाम पर बंटवारा कर दिया ताकि 500 वर्गफुट से कम जमीने होने पर आठ गुना अधिक मुआवजे का लाभ उठाया जा सकें।

एनपीजी के सूत्र बताते हैं, कायदे से 32प्लाटों के लिए 35 करोड़ मुआवजा बनता। मगर एसडीएम ने बड़े लोगों से मिलकर प्रतिबंध के बावजूद उसे 247 टुकड़ों में बांट 248 करोड़ मुआवजा दे दिया। इसके बाद 78 करोड़ का और क्लेम कर दिया।

ऐसे फूटा मामला

248 करोड़ रुपए देने के बाद 78 करोड़ के और क्लेम के बाद नेशनल हाईवे अथारिटी के अफसरों के कान खड़े हुए। अफसरों ने इसकी जानकारी शीर्ष अफसरों को भेजी। इस पर एनएचआई के चीफ विजिलेंस आफिसर ने रायपुर कलेक्टर से इसकी जांच कराने कहा। कई साल से इसकी जांच पेंडिंग रही। दिल्ली के प्रेशर के बाद इसकी जांच रिपोर्ट अब राजस्व सिकरेट्री को भेज दी गई है। इसमें कलेक्टर ने माना है कि 35 करोड़ के आसपास मूल मुआवजा बनता है। याने 213 करोड़ ज्यादा मुआवजा बांट दिया गया।

बड़े बिजनेसमैन शामिल

भारतमाला रोड का ऐलान होते ही रायपुर, धमतरी के बड़े बिजनसमैन आसपास की जमीनें खरीद ली। 500 वर्ग फुट से अगर प्लॉट छोटा है तो आठ गुना अधिक मुआवजा बनता है। अभनपुर में 14 लाख रुपए जमीनों का सरकारी रेट है। तो भूअर्जन नियमों से दुगुना याने 28 लाख रुपए मिलेगा। और इसे 500 वर्गफुट के टुकड़ों में बांट दें तो इसका रेटा एक करोड़ से अधिक पहुंच जाएगा। क्योंकि मुआवजे का रेट आठ गुना बढ़ जाएगा।

रायपुर से विशाखापटनम की दूरी कम करने के लिए भारत सरकार याने नेशनल हाईवे 25 हजार करोड़ की लागत से 464 किलोमीटर लंबी सिक्स लेन एक्सप्रेस वे बना रहा है। छत्तीसगढ़ में इसके तहत 124 किलोमीटर रोड बनाया जाएगा। उसके बाद 240 किलोमीटर ओड़िसा में और फिर आंध्रप्रदेश में 100 किलोमीटर का हिस्सा आएगा। इस एक्सप्रेस वे के बन जाने के बाद रायपुर से विशाखापत्तनम की दूरी 14 घंटे से आधी होकर सात घंटे हो जाएगी।

एक्सप्रेस वे का ओड़िसा और आंध्रप्रदेश के हिस्से में काम जोर-शोर से चल रहा है। मगर किसानों के विरोध की वजह से अभनपुर के पास काम घिसट-घीसटकर चल रहा है। पिछली सरकार में कभी डीएफओ ने काम रोकवा दिया तो कभी अभनपुर एसडीएम ने। एनएच के अधिकारियों ने रायपुर कलेक्टर के पास मुआवजा प्रकरण की जांच के लिए गुहार लगाई मगर चार साल से उस पर कोई फैसला नहीं हो पाया। उधर, किसान मुआवजे की राशि बढ़ाने के लिए बार-बार निर्माण कार्यो के पास प्रदर्शन कर काम रोक दे रहे हैं।

जानिये ग्रीन कारिडोर रोड के बारे में

तीन राज्यों से होकर गुजर रहे इस रायपुर-विशाखापत्तनम एक्सप्रेस वे को ग्रीन कारिडोर नाम दिया गया है। इसके दोनों ओर बाउंड्री बनाई जाएगी ताकि कोई मवेशी या वाहन अचानक रोड पर न आ जाए। इसमें टोल बैरियर भी दो ही रहेगा, एक अभनपुर के पास और दूसरा विशाखापटनम में। 464 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे रायपुर के पास अभनपुर से शुरू होगा और विशाखापत्तनम के बाहरी इलाके में सब्बावरम तक जाएगा। इसे 2025 तक पूरा होने का टारगेट था। मगर जिस रफ्तार से काम चल रहा 2026 में भी पूरा हो जाए तो बहुत है.

छत्तीसगढ़ की यह पहली परियोजना है जो 6 लेन पूरी तरह दोनों तरफ से बंद होगी किसी प्रकार का जानवर या अन्य कोई प्रवेश नहीं कर पायेगा। इस रोड पर प्रवेश के लिए जहां रास्ता बनाया जायेगा उसी स्थल से ही प्रवेश हो पायेगा। तैयार होने पर रायपुर से विशाखापटनम की दूरी 590 किमी से घटकर 464 किमी हो जाएगी और यात्रा का समय 14 घंटे से घटकर लगभग 7 घंटे हो जाएगा।

वर्तमान में विशाखापट्टनम और छत्तीसगढ़ के बीच में लगभग 3 लाख मीट्रिक टन माल का आना जाना होता है। यह रोड बनने से समुद्री मांग से आने वाले माल की ढुलाई आसान होगी जिससे व्यापार बढ़ने की उम्मीद है।

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