CG Book Scam: पुस्तक स्कैम के तार जुड़ा प्रायवेट स्कूलों के फजीवाड़े से, MD और DEO मिलकर हर साल 25 लाख किताबें एक्स्ट्रा छाप डालते हैं…

CG Book Scam: पुस्तक स्कैम के तार जुड़ा प्रायवेट स्कूलों के फजीवाड़े से, MD और DEO मिलकर हर साल 25 लाख किताबें एक्स्ट्रा छाप डालते हैं…

CG Book Scam: रायपुर। पाठ्य पुस्तक निगम के पुस्तक घोटाले में अब एक के बाद एक सनसनीखेज जानकारियां सामने आ रही हैं। पाठ्य पुस्तक निगम और डीईओ के इस खेल में हर साल 25 लाख से अधिक किताबें छपवा ली जाती थी। पाठ्य पुस्तक निगम के एमडी और जीएम जिला शिक्षा अधिकारियों पर प्रेशर बनाते थे, ज्यादा-से-ज्यादा डिमांड भेजो।

जाहिर है, पाठ्य पुस्तक निगम में कागज खरीदी से लेकर किताबों छपवाने और उसे जिलों तक भिजवाने के ट्रांसपोर्टिंंग को मिलाकर हर साल 40 करोड़ का फिक्स खेला होता है। यह पैसा उपर से लेकर नीचे तक बंटता था। सो, पाठ्य पुस्तक निगम के जिम्मेदार अफसर नहीं चाहते कि 40 करोड़ का फिगर कम हो। इसलिए जरूरत से अधिक किताबें जानबूझकर छपवाई जाती है ताकि फर्जी बिलिंग किया जा सकें।

पाठ्य पुस्तक निगम में आंख मूंदकर किस तरह काम किया जाता है, यह जानकार आप हैरान होंगे कि पिछले साल अंदाज से ढाई करोड़ पुस्तकें छपवा ली गई। आईएएस राजेंद्र कटारा जांच कमेटी ने खुद अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है। जांच कमेटी ने लिखा कि डीपीआई से डिमांड आने में विलंब होने पर पिछले साल के हिसाब से किताबों के प्रिंटिंग का आर्डर दे दिया गया।

अंधेरगर्दी की स्थिति यह है कि जिलों के गोदामों में अभी भी 12 लाख किताबें डंप पडी हुई है। ये इसलिए डंप पड़ी हुई है कि इतनी पुस्तकों की जरूरत ही नहीं थी। सूत्रों का ये भी दावा है कि 10 लाख से अधिक पुस्तकें हर साल कबाड़ों में बेच दिया जाता है। क्योंकि, गोदामों और स्कूलों मं रखने के लिए जगह नहीं होती। उसी का एक हिस्सा रायपुर के औद्यागिक प्रक्षेत्र सिलतरा के कबाडा में मिला।

सिलतरा इंडस्ट्रीयल इस्टेट के कबाड़ में सरकारी स्कूलों की किताबें मिलने के बाद हड़़कंप मचा। इसके बाद जांच का आदेश दिया गया। निःपक्ष जांच के लिए थर्ड पार्टी को देने की बजाए पापुनि के तत्कालीन एमडी, जीएम को ही मेम्बर बना दिया गया। इसमें से जीएम को मुख्यमंत्री ने सस्पेंड कर दिया। चूकि जांच कमेटी का जिम्मेदार सदस्य सस्पेंड हो गया, इसलिए इस कमेटी का कोई मतलब नहीं था। उधर मुख्यमंत्री ने जांच में लीपापोती की कोशिशों पर नाराजगी व्यक्त करते हुए प्रदेश की साफ-सुथरी छबि की सीनियर आईएएस अफसर एसीएस रेणु पिल्ले को जांच के लिए दे दिया।

मुख्यमंत्री द्वारा रेणु पिल्ले को जांच करने का दायित्व सौंपने के बाद भी अंडरस्टूड है कि पिछली जांच कमेटी का अस्तित्व खतम हो गई। मगर आश्चर्यजनक पहलु यह है कि इसके बाद भी पिछली जांच कमेटी ने रिपोर्ट सरकार को सौंप दी।

प्रायवेट स्कूलों से इस तरह तार

छत्तीसगढ़ के पांच हजार प्रायवेट स्कूलों का एक बड़ा स्कैम सामने आया है। ये स्कूल हजारों बच्चों और अभिभावकों की आंखों में धूल झोंकते हुए सीबीएसई कोर्स के नाम पर दाखिला दिया मगर उनके पास सीबीएसई से संबंद्धता ही नहीं है। वे सीजी बोर्ड से रजिस्टर्ड हैं।

ये रहस्य तब खुला जब विष्णुदेव सरकार ने बेसिक शिक्षा में सुधार के लिए पहली और आठवीं में बोर्ड परीक्षा कराने का ऐलान किया। सरकार ने जैसे ही परीक्षा का ऐलान किया, प्रायवेट स्कूल वालों के पैरों के नीचे से जमीन खिसकती नजर आई। असल में, उनकी धोखाधड़ी पकड़ी गई। कई स्कूलों में अभिभावकों ने इसे बच्चों के साथा चार सौ बीसी बताते हुए जमकर हंगामा किया। अभिभावकों का कहना था कि सीबीएसई से पढ़ाकर सीजी बोर्ड से परीक्षा लेना बच्चों के साथ अन्याय है। जिन किताबों को बच्चे पढ़े ही नहीं, उसकी वे परीक्षा कैसे देंगे।

बहरहाल, प्रायवेट स्कूलों में पढ़ने वाले पांचवी से आठवीं तक के बच्चे सीजी बोर्ड की किताबें नहीं पढ़ते। न ही सरकारी किताबें वहां बंटती है। सरकारी किताबें सिर्फ सरकारी स्कूलों के बच्चों के लिए फ्री में दिया जाता है। मगर जिला शिक्षा अधिकारी इन पांच हजार प्रायवेट स्कूलों के बच्चों की संख्या कैलकुलेट कर पाठ्य पुस्तक निगम को भेज देते थे। पापुनि तो चाहता ही यही था। इस तरह हर साल करोड़ों के घोटाले को अंजाम दिया जाता था।

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share