CG Book Scam: पुस्तक घोटाले में पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारी दूध के धूले हो गए और नीचे वाले दोषी, ये कमाल कैसे हुआ?…

CG Book Scam: पुस्तक घोटाले में पाठ्य पुस्तक निगम के अधिकारी दूध के धूले हो गए और नीचे वाले दोषी, ये कमाल कैसे हुआ?…

CG Book Scam: रायपुर। एनपीजी न्यूज ने इस शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी…आईएएस रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट आसमान खा गया या जमीन निगल गई। इसके बाद पता चला है सिस्टम हरकत में आया और उच्च स्तर पर फील्डिंग करके जांच रिपोर्ट का कुछ हिस्सा खबरों के लिए प्लांट किया गया।

जाहिर सी बात है कि एसीएस रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट इतनी सतही नहीं होगी…यह एनपीजी न्यूज नहीं कह रहा, ब्यूरोक्रेसी के लोग बोल रहे हैं। सवाल इस पर भी उठ रहे हैं कि पापुनि के अफसरों ने अंदाज पर ढाई करोड़ पुस्तकें प्रकाशित करवा ली। प्रथम जांच रिपोर्ट में राजेंद्र कटारा कमेटी ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि डीपीआई से किताबों की आवश्यक संख्या आने में विलंब हुआ, इसलिए पिछले साल के अनुमान से ढाई करोड़़ पुस्तकों का आर्डर दे दिया गया।

स्कूल शिक्षा विभाग के अफसरों का कहना है कि पापुनि ने अंदाज पर जरूरत से 15 लाख ज्यादा पुस्तकें छपवा ली। उसमें से कुछ गोदाम में पड़े हुए हैं और कुछ किताबें कबाड़ में पहुंच गईं।

सवाल यह भी है

सरकारी स्कूलों में किताबें छपवा कर भेजने का काम पाठ्य पुस्तक निगम करता है। इसके लिए पेपर का टेंडर करने के साथ ही प्रिंट कराने के साथ ही जिलों में भिजवाने तक दायित्व पापुनि का है। खेल इसी में होता है। पापुनि द्वारा जिलों के शिक्षा अधिकारियों से स्कूलों में लगने वाली किताबों की संख्या मंगवाई जाती है। पापुनि और डीईओ मिलकर जरूरत से ज्यादा किताबें छपवा ेलेते हैं। चूकि इसे खपाना भी होता है, इसलिए उसे जिलों में भेज दिया जाता है। जिलों के डीईओ आफिस और स्कूलों के गोदामों की अगर जांच कर लिया जाए तो लाखों किताबें आज भी सालों से धूल खा रही हैं। क्योंकि, ये पापुनि और डीईओ का यह खेला पहली बार नहीं हुआ, ये राज्य बनने के बाद से चलता आ रहा है। ये जरूर है कि पकड़ा पहली बार गया।

प्रारंभ से ही लीपापोती की कोशिशें

पापुनि की पुस्तकें रायपुर के इंडस्ट्रीयल एरिया सिलतरा के कबाड़ में मिलने पर पापुनि के एमडी राजेंद्र कटारा के नेतृत्व में इसकी जांच कराई गई। इसमें पापुनि के जीएम समेत पांच सदस्य शामिल थे। जांच शुरू होने से पहले जीएम इसी मामले में सस्पेंड कर दिए गए। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इस स्कैम की लीपापोती करने का पता चला तो उन्होंने नाराज होते हुए एसीएस रेणु पिल्ले को जांच का दायित्व सौंप दिया।

रेणु पिल्ले ने 3 दिसंबर को जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी। मगर यह मुख्यमंत्री तक नहीं पहुंची। लोग दबी जुबां से बता रहे कि रिपोर्ट के उन्हीं हिस्सों को खबरों के लिए फीड किया जा रहा, जिसमें बड़े अफसर लपेटे में न आएं।

ACS Renu Pillai News: ACS रेणु पिल्ले की जांच रिपोर्ट आसमान खा गया या जमीन निगल गई? क्या छत्तीसगढ़ की नौकरशाही जांचों में ब्रेकर बन रही!…

ACS Renu Pillai News: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वित्त मंत्री ओपी चौधरी करप्शन को लेकर सख्त तेवर अपनाए हुए हैं। तमाम सियासत और प्रेशर के बाद भी मुख्यमत्री ने सीजीएमएससी घोटाले को जांच के लिए एसीबी को दे दिया। वहीं, पाठ्य पुस्तक निगम की किताबें कबाड़ में पाए जाने पर बेहद नाराज होते हुए उन्होंने छत्तीसगढ़ के सबसे तेज-तर्रार और दूसरे नंबर की सीनियर अफसर रेणु पिल्ले को जांच के लिए सौंपा था। मगर तीन महीना गुजर गया, जांच रिपोर्ट दबा दिए जाने की खबरें आ रही हैं। आरआई परीक्षा घोटाले को भी राजस्व विभाग द्वारा दबाया जा रहा है। सीजीएमएससी घोटाले की एसीबी जांच में भी अब पहले जैसे तेजी नहीं दिखाई पड़ रही है। ऐसा प्रतीत होता है कि छत्तीसगढ़ की ब्यूरोक्रेसी नहीं चाह रही कि जांचों से कोई अफसर प्रभावित हो। यहां पढ़िए पूरी खबर…

CG Book Scam: किताब घोटाला: पापुनि के अफसरों को इतनी जल्दी थी कि DPI की संख्या का वेट नहीं किया और अंदाज पर ढाई करोड़ पुस्तक छपवा डाला

CG Book Scam: छत्तीसगढ़ के पाठ्य पुस्तक निगम घोटाले में कई दिलचस्प जानकारियां सामने आ रही हैं। इनमें एक ये भी है कि पापुनि अधिकारियों ने डीपीआई से विद्यार्थियों की संख्या आने का इंतजार नहीं किया और छपने का आर्डर कर दिया। जांच रिपोर्ट में लिखा…

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