Bilaspur High Court: पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स अपराध नहीं, बिलासपुर हाई कोर्ट का अहम फैसला

Bilaspur High Court: पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स अपराध नहीं, बिलासपुर हाई कोर्ट का अहम फैसला

Bilaspur High Court: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने पति-पत्नी के रिश्ते और दोनों के बीच बिगड़ते संबंध को लेकर महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच ने कहा है कि पति-पत्नी के बीच अप्राकृतिक सेक्स अपराध नहीं है। अगर पत्नी नाबालिग नहीं है और बालिग है तो यह दुष्कर्म का मामला नहीं है। ना ही पत्नी इस तरह का आरोप लगा सकता है। हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए याचिकाकर्ता पति की अपील स्वीकार कर ली है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जेल से रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि अननेचरल सेक्स करने पर भी पत्नी दुष्कर्म या अननेरचल सेक्स का आरोप नहीं लगा सकती।

याचिकाकर्ता पेशे से ड्राइवर है। घटना 11 दिसंबर 2017 की है। रात में वह पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स किया। इसके चलते उसकी तबियत बिगड़ गई। तबितय बिगड़ने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया। पत्नी की तबियत गंभीर बनी हुई थी। अस्पताल प्रबंधन ने इसकी जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मृत्यु पूर्व बयान के लिए कार्यपालिक दंडाधिकारी से आग्रह किया। कार्यपालिक दंडाधिकारी ने याचिकाकर्ता की बीमार पत्नी की मृत्युपूर्व बयान दर्ज किया। पत्नी ने पति द्वारा मना करने के बाद भी अननेचरल सेक्स करना बताया, पत्नी ने यह भी कहा कि इसके बाद उसकी तबियत बिगड़ गई। बयान के कुछ घंटे बाद उसकी मृत्यु हो गई। मृत्युपूर्व बयान के आधार पर पुलिस ने याचिकाकर्ता पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 व अप्राकृतिक सेक्स के आरोप में 377 का जुर्म दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद निचली अदालत में चालान पेश किया। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता पति को 10 साल की सजा और एक हजार रुपये जुर्माना किया था। निचली अदालत के फैसले को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अपील पेश की थी।

 कोर्ट ने ये कहा

मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास के सिंगल बेंच में हुई। कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों में पत्नी की सहमति को कानूनी रूप से महत्वहीन है। कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी की उम्र 15 साल से अधिक है और पति उसके साथ संबंध बना रहा है तो इसे दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता। अप्राकृतिक संबंध के लिए पत्नी की स्वीकृति जरूरी नहीं है। इसलिए आरोपी पर अपराध का मामला नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि धारा-375 के तहत अपराधी के तौर पर पुरुष को वर्गीकृत किया गया है। इस मामले में आरोपी पति है और पीड़िता उसकी पत्नी थी। संबंध बनाने के लिए शरीर के उन्हीं हिस्सों का उपयोग किया गया, जो सामान्य हैं। इसलिए पति-पत्नी के बीच ऐसे संबंध को अपराध नहीं माना जा सकता।

 तीन महीने बाद आया फैसला

मामले की सुनवाई और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने 19 नवंबर 2024 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 10 फरवरी 2025 को हाई कोर्ट ने अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।

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