Bilaspur High Court: पीआईएल खारिज और अमानत राशि जब्त: जानिये…छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सुनाया यह फैसला

Bilaspur High Court: बिलासपुर। रिसाली नगर निगम के आयुक्त ने जिस जमीन को पहले निजी बताते हुए भूमि स्वामी महिला को क्लीन चिट दी थी,भाजपा पार्षद के इशारे पर उसी जमीन को विवादित बताते हुए बेदखली का नोटिस जारी कर दिया था। तब भूमि स्वामी नीलिमा नायर ने अधिवक्ता संदीप दुबे के माध्यम से याचिका दायर कर भाजपा पार्षद की कारगुजारियों को बताया था और कहा था कि उसकी जमीन को विवादित बताकर पार्षद हड़पना चाहता है। इस फर्जीवाड़े में निगम के अफसर भी उसका साथ दे रहे हैं। मामले की सुनवाई के बाद सिंगल बेंच ने निगम कमिश्नर द्वारा जारी बेदखली आदेश पर रोक लगा दिया था।
सिंगल बेंच के फैसले के बाद पार्षद ने कालोनीवासियों को साथ लेकर जनहित याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान प्रमुख पक्षकार नीलिमा नायर के अधिवक्ता ने डिवीजन बेंच को बताया कि इसी मामले में सिंगल बेंच ने नीलिमा नायर को राहत देते हुए निगम कमिश्नर द्वारा जारी नोटिस पर रोक लगाया है। यह सुनते ही कोर्ट नाराज हो गया। कोर्ट की नाराजगी यही नहीं रुकी। डिवीजन बेंच ने साफ कहा कि आपसी विवाद के मामले को क्यो जनहित का मुद्दा बनाया जा रहा है। डिवीजन बेंच ने दायर पीआईएल को खारिज करते हुए पीआईएल दायर करने के लिए जमा की गई सुरक्षा निधि को भी जब्त करने का निर्देश दिया है।
क्या है मामला
भूमि स्वामीनीलिमा नायर ने अधिवक्ता संदीप दुबे के जरिए हाई कोर्ट में याचिका दायर कर तब शिकायत की थी कि भाजपा पार्षद सत्ता का दुरुपयोग करते हुए उसकी जमीन को विवादित बातकर हड़पना चाहता है। इसके लिए निगम आयुक्त पर दबाव बनाकर नोटिस जारी करा दिया है। याचिका में बताया था कि जिस जमीन को पूर्व में जांच के बाद रिसाली नगर निगम आयुक्त ने रिपोर्ट के आधार पर क्लीन चिट देते हुए निजी जमीन बताया था। उसी जमीन को आयुक्त ने विवादित और अवैध निर्माण होना बताते हुए बेदखली नोटिस जारी कर दिया । याचिकाकर्ता ने भाजपा पार्षद पर आरोप लगाते हुए कहा था कि दरअसल भाजपा पार्षद की नजर उसकी जमीन पर है। जमीन को विवादित और अवैध निर्माण घोषित कराने के बाद उसे हड़पना चाहता है। सत्ताधारी दल का पार्षद होने के कारण आयुक्त से लेकर निगम का अमला भी उसके दबाव व प्रभाव में है। याचिकाकर्ता ने अपनी निजी जमीन को सुरक्षित रखने व निगम आयुक्त जारी नोटिस को रद्द करने की गुहार हाई कोर्ट से लगाई है।0
इस जमीन का है विवाद
नीलिमा नैयर ने खसरा नंबर 398/2 क्षेत्रफल 4600 वर्ग फीट भूमि खरीदी है। यह जमीन वार्ड क्रमांक 61 प्रगति नगर, रिसाली, भिलाई में पंजीकृत विक्रय विलेख 5-9-2019 के तहत स्थित है। जमीन की खरीदी के बाद याचिकाकर्ता ने उस भूमि को सुरक्षित रखने के लिए तार और लोहे की छड़ से घेर दिया। इससे पहले संजय कुमार वर्मा और अन्य द्वारा शिकायत किए जाने पर जांच की गई और आयुक्त, नगर निगम, रिसाली द्वारा 6-3-2023 को रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपाेर्ट में शिकायत को झूठा बताते हुए उक्त जमीन को उसका होना बताया था। रिपोर्ट में बताया गया था कि याचिकाकर्ता ने अपनी जमीन पर एंगल लगाया है और उसने कोई अवैध कब्जा नहीं किया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि भाजपा का एक वार्ड पार्षद उक्त जमीन को उसे बेचने के लिए दबाव बना रहा है। इसलिए उसके प्रभाव में आकर रिसाली नगर निगम के आयुक्त ने 4-12-2024 को नोटिस जारी कर अवैध निर्माण होना बताया है।
जमीन तार घेरे में है सुरक्षित
मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई थी । याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता संदीप दुबे ने कोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ता द्वारा विवादित जमीन पर कोई निर्माण नहीं कराया जा रहा है। उसकी जमीन को हड़पने की कोशिश की जा रही है। अधिवक्ता दुबे ने कोर्ट को पूर्व में निगम आयुक्त द्वारा उक्त जमीन पर अवैध निर्माण ना होने संबंधी क्लीन चिट याचिकाकर्ता को दिया था। इसके पहले शिकायत पर जांच दल ने जांच किया था,उसके बाद कमिश्ननर को रिपोर्ट सौंप दिया था। अवैध निर्माण संबंधी नोटिस अपने आप में विवादित है। अधिवक्ता दुबे ने निगम कमिश्ननर द्वारा जारी नोटिस और उसके क्रियान्वयन पर कोर्ट से रोक लगाने की मांग की थी।
कोर्ट ने निगम कमिश्ननर द्वारा जारी नोटिस पर लगाई थी रोक
मामले की सुनवाई जस्टिस एनके चंद्रवंशी के सिंगल बेंच में हुई थी। कोर्ट ने कहा कि आयुक्त नगर पालिक निगम रिसाली द्वारा प्रस्तुत विरोधाभासी दस्तावेजों अर्थात 6-3-2023 और 4-12-2024 को जारी नोटिस पर विचार करने के पश्चात, यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता को 4-12-2024 को निगम कमिश्नर द्वारा जारी किए गए विवादित नोटिस के प्रभाव और संचालन पर अगली सुनवाई तक रोक लगाई जाती है।
स्टे के बाद दायर किया पीआईएल, सुनवाई के दौरान कोर्ट को लगी जानकारी
सिंगल बेंच के फैसले के बाद पार्षद ने इसी मामले में कालोनी के पांच अन्य लोगों के साथ पीआईएल दायर कर दिया। कालोनीवासियों को शामिल करने के पीछे जनहित का मुद्दा बताना था। याचिका में जनहित के उन सभी मुद्दों को जोड़ दिया गया जिससे कोर्ट को लगे यह व्यक्तिगत विवाद के बजाय जनहित का मामला है। पीआईएल पर सुनवाई भी प्रारंभ हो गई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई के दौरान कोर्ट को इस बात की जानकारी लगी कि यह मामला पहले भी सिंगल बेंच में लग चुका है और सिंगल बेंच ने इस पर अपना फैसला दे दिया है। इस बात की जानकारी लगते ही कोर्ट नाराज हो गया। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत विवाद को क्यों जनहित का बताया और बनाया जा रहा है। इस कड़ी टिप्पणी के साथ कोर्ट ने पीआईएल को खारिज कर दिया है। नाराज कोर्ट ने जमा सुरक्षा निधि को भी जब्त करने का आदेश दे दिया है।
व्यक्तिगत विवाद को ऐसे दिया जनहित का रूप
पीआईएल में बताया है कि 1986 में स्थापित इस कॉलोनी में लगभग 50 परिवार रहते हैं, जिनमें वरिष्ठ नागरिक, स्कूली बच्चे और कामकाजी व्यक्ति शामिल हैं। कॉलोनी का एकमात्र प्रवेश मार्ग, जिसे 1992 में नगरपालिका निविदा के अनुसार बनाया गया था, शुरू में आवश्यक यातायात को समायोजित करने के लिए 15 फीट की चौड़ाई पर निर्धारित किया गया था। हालांकि प्रतिवादियों नीलम नायर व केवल नायर द्वारा किए गए अतिक्रमण के कारण यह एकल प्रवेश मार्ग अगम्य हो गया है, उनके अवैध कार्यों ने गेट को पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया है, जिससे निवासियों के लिए उनके दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण चुनौतियां पैदा हो रही हैं और एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड जैसे आपातकालीन वाहनों के लिए कॉलोनी में प्रवेश करना असंभव हो गया है। इसने सुरक्षा, पहुंच और मौलिक अधिकारों के बारे में गंभीर चिंताएं पैदा की है। क्योंकि अवरोध सीधे निवासियों के जीवन और कल्याण को खतरे में डालता है। नीलम व केवल नायर द्वारा किए गए अतिक्रमण के कारण कॉलोनी में व्यापक व्यवधान हुआ है। जिससे सार्वजनिक उपद्रव हुआ है और निवासियों के सामूहिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।