NEET PG 2025: नीट पीजी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, डोमिसाइल कोटा खत्म, जज बोले- 'ये संविधान के खिलाफ'

NEET PG 2025: नीट पीजी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, डोमिसाइल कोटा खत्म, जज बोले- 'ये संविधान के खिलाफ'

NEET PG 2025: सुप्रीम कोर्ट ने चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश को लेकर अहम फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पोस्ट ग्रेजुएट (PG) मेडिकल सीटों में प्रवेश के लिए मूल निवास (डोमिसाइल) के आरक्षण को खत्म कर दिया है। जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति SVN भट्टी की पीठ ने कहा कि इस तरह का आरक्षण पूरी तरह से अस्वीकार्य है और समानता के अधिकार का उल्लंघन करने के कारण असंवैधानिक भी है।

पीठ ने मूल निवास आधारित आरक्षण को असंवैधानिक मानते हुए कहा कि ये अनुच्छेद 14 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है। पीठ ने कहा, “हम सभी भारत के निवासी हैं। प्रांतिय या राज्य के डोमिसाइल जैसा कुछ नहीं है। हमें भारत में कहीं भी निवास चुनने और देश में कहीं भी व्यापार और व्यवसाय करने का अधिकार है। संविधान हमें भारत भर के शैक्षणिक संस्थानों में दाखिला चुनने का अधिकार भी देता है।

पीठ ने कहा, “मेडिकल कॉलेजों सहित शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का लाभ किसी विशेष राज्य में रहने वालों को केवल MBBS पाठ्यक्रमों में एक निश्चित डिग्री तक ही दिया जा सकता है। PG मेडिकल पाठ्यक्रमों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के महत्व को देखते हुए, निवास के आधार पर उच्च स्तरों में आरक्षण संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य कोटे की सीटें राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के आधार पर भरी जानी चाहिए।

आरक्षण का फायदा उठा रहे छात्रों का क्या होगा?

पीठ ने स्पष्ट किया कि यह फैसला पहले से दिए गए डोमिसाइल आरक्षण को प्रभावित नहीं करेगा और जो छात्र PG पाठ्यक्रम कर रहे हैं और पहले से ही ऐसे निवास श्रेणी से पास हैं, वे प्रभावित नहीं होंगे। फैसले के बाद अब राज्यों के कोटे से होने वाले PG मेडिकल प्रवेश पूरी तरह से NEET परीक्षा में मेरिट के आधार पर होंगे। कोर्ट ने कहा कि UG में कुछ हद तक मूल निवास आरक्षण दिया जा सकता है।

क्या है मामला?

दरअसल, 2019 में डॉक्टर तन्वी बहल बनाम श्रेय गोयल और अन्य से जुड़े मामले में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने PG मेडिकल प्रवेश में मूल निवास आधारित आरक्षण को असंवैधानिक बताया था। बाद में ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, जिस पर पहले 2 जजों की पीठ सुनवाई कर रही थी। बाद में पीठ ने मामला 3 जजों को सौंप दिया था। अब 3 जजों की पीठ ने ये फैसला दिया है।

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