छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा-कैदियों की मौत पर परिजनों के लिए मुआवजा स्कीम जरुरी

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने कहा-कैदियों की मौत पर परिजनों के लिए मुआवजा स्कीम जरुरी

High Court: बिलासपुर। प्रदेश के जेलों में बंद कैदियों के अप्राकृतिक मौत और परिजनों के जीवन यापन के लिए मुआवजा के प्रावधान को लेकर दायर जनहित याचिका पर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। डिवीजन बेंच ने दोटूक कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए प्रावधानों व शर्तों का अनिवार्य रूप से पालन होना चाहिए। कैदियों को भी जीवन जीने की स्वतंत्रता दी गई है। डिवीजन बेंच ने राज्य सरकार से कहा कि कैदियों की अप्राकृतिक मौत की स्थिति में परिजनों को मुआवजा का प्रावधान होना चाहिए। इस संबंध में ड्राफ्ट तैयार करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया है।

प्रदेश के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों की हो रही मौत को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि जेल में बंद कैदियों को भी संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार प्राप्त है। इससे उनको वंचित नहीं किया जा सकता। पीआईएल की सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कैदियों की अप्राकृतिक मौत होने पर परिजनों को मुआवजा की व्यवस्था का निर्देश दिया है। इसके लिए ड्राफ्ट्स तैयार करने की बात कही है। पीआईएल की अगली सुनवाई दो अप्रैल को होगी।

जेल में सुधार सहित अन्य मामलों को लेकर छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में पीआईएल पर सुनवाई हो रही है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस संबंध में गंभीरता के साथ विचार करने की जरुरत है। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व में डिवीजन बेंच के निर्देश पर राज्य शासन की ओर से शपथ पत्र पेश कर जानकारी दी गई थी। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि वर्ष 2019 से 2024 तक बीते पांच साल के दौरान जेल में बंद कैदियों की मौत के संबंध में भी विस्तार से जानकारी दी गई है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि अब तक जेल में रहने के दौरान बीमारी या अन्य कारणों से 62 कैदियों की मौत हुई है। 2024 में एक कैदी की अप्राकृतिक मौत की जानकारी दी।

0 मुआवजे का नहीं है प्रावधान

पीआईएल की सुनवाई के दौरान डिवीजन बेंच ने पूर्व में ही कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति कर दी थी। अधिवक्ता सुनील पिल्लई को डिवीजन बेंच ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करने के साथ ही प्रदेश के जेलों का निरीक्षण कर रिपोर्ट पेश करने कहा था। कोर्ट कमिश्ननर ने बताया कि जेल में बंद रहने के दौरान जिन कैदियों की अप्राकृतिक मौत हो जाती है,तो परिवार के आश्रितों को राज्य सरकार की तरफ से मुआवजे को कोई प्रावधान नहीं किया गया है।

0 जेलों में ओवरक्राउड

26 नवंबर 2024 को पीआईएल की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र पेश किया गया था। इसमें बताया था कि प्रदेश की जेलों में ओवरक्राउड चल रहा है। क्षमता से अधिक कैदी रह रहे हैं। इसके चलते इनके बीच संघर्ष की स्थिति भी बनती है और एक दूसरे पर कभी-कभी जानलेवा हमला भी कर देते हैं। बिलासपुर व बेमेतरा में ओपन जेल के निर्माण की जानकारी भी दी गई थी।

0 निगरानी के लिए सीसीटीवी कैमरे

शपथ पत्र में राज्य सरकार ने बताया था कि कैदियों पर नजर रखने के लिए प्रदेश के 33 जेलों में 2979 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की खरीदी प्रक्रियाधीन है। कैदियों की सुरक्षा के लिए पांच केंद्रीय जेलों के लिए पांच नए नॉन लीनियर जंक्शन मेटल डिटेक्टर तथा पांच जिला जेल के लिए पांच नए जनरेटर खरीदे जा रहे हैं। इस पर डिवीजन बेंच ने डीजी जेल से कहा थाकि शपथ पत्र में जिन सुविधाओं की जानकारी दी गई है उसका अक्षरशः पालन किया जाए।

0 क्या है संविधान काअनुच्छेद 21

संविधान के अनुच्छेद 21 में जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण के लिए है। एक भी व्यक्ति को उसके जीवन और/या उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Share