CG Teacher Recruitment News: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की भर्ती का जिम्मेदार कौन? जानिये कोर्ट के फैसले के बाद भी अफसरों ने हठधर्मिता दिखाते हुए कैसे भर्ती कर डाली…

CG Teacher Recruitment News: छत्तीसगढ़ में शिक्षकों की भर्ती का जिम्मेदार कौन? जानिये कोर्ट के फैसले के बाद भी अफसरों ने हठधर्मिता दिखाते हुए कैसे भर्ती कर डाली…

CG Teacher Recruitment News: रायपुर। बीएड डिग्री धारी सहायक शिक्षकों के मामले में सरकार की किरकिरी हो रही है और सरकार के मंत्रियों और प्रवक्ताओं को जवाब देते नहीं बन रहा है। आलम यह है कि लॉ एंड आर्डर बिगड़ने तक की स्थिति आ गई है और 30 प्रदर्शनकरियों पर अपराध दर्ज कर जेल तक भेज दिया गया है।

बावजूद इसके यह मामला सुलझता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। इस मसले पर राजनीति चरम पर है। निश्चित तौर पर किसी भी कर्मचारी को नौकरी मिलना और फिर नौकरी का इस तरीके से छीन जाना बड़ा अन्याय है। पर आखिर ऐसी स्थिति क्यों तैयार हुई इसे जानने के लिए एनपीजी न्यूज ने छानबीन की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने निकल कर आए।

दरअसल, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ध्यान से पढ़ा जाए तो यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति अधिनियम 2019 तैयार करते समय ही अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी कर दी गई। हाई कोर्ट ने भी अपने अंतिम निर्णय में अलग से नोट जारी करते हुए यह साफ कहा है कि छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 सीधे तौर पर शिक्षा के अधिकार कानून का खुला उल्लंघन है।

बहरहाल, छत्तीसगढ़ में शिक्षक भर्ती और प्रमोशन नियम का राजपत्र में प्रकाशन 2019 में हुआ। इसके बाद नियुक्तियों का दौर चालू हुआ। उधर, बीएडी शिक्षकों का राजस्थान से उठा मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा और छत्तीसगढ़ का मामला भी हाईकोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में सहायक शिक्षक के पद पर बीएड डिग्रीधारीयों की नियुक्ति को गलत ठहरा दिया। छत्तीसगढ़ सरकार की तरफ से एसएलपी भी दायर की गई और इसी को आधार बनाकर और आदेश में इसका उल्लेख कर बीएड डिग्री धारी सहायक शिक्षकों को नियुक्ति भी प्रदान कर दी गई।

उनके आदेश में यह साफ तौर पर लिखा था कि यह नियुक्ति हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस के अंतिम निर्णय के अधीन है।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों में एक के बाद एक बीएड डिग्री धारी के खिलाफ फैसला आते रहे और मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार को उसी समय समायोजन जैसे विकल्पों को लेकर प्रस्ताव पेश करना था पर ऐसा नहीं हुआ और कोर्ट से एक तरफा फैसला जारी हो गया।

अब स्थिति यह है कि बीएड डिग्री धारी शिक्षकों के पास न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का भी विकल्प नहीं बचा है। सरकार भी अब इस मामले को लेकर न्यायालय नहीं जा सकती। मामले मे पेंच फंसता देखकर भी तत्कालीन सरकार और अधिकारियों ने सूझबूझ नहीं दिखाया और मामला लगातार उलझता चला गया।

यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट दोनों की तरफ से जो लिखित आदेश जारी हुआ है उसमें सीधे तौर पर बीएड डिग्री धारी को नौकरी से हटाने और डीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को नौकरी देने की बात कही गई है।

नहीं रख पा रहे सही तरीके से पक्ष

राजस्थान हाइकोर्ट समेत सुप्रीम कोर्ट तक के रुख को देखकर 2023 में ही यह साफ पता चल गया था कि बीएड डिग्री धारी को नौकरी देना परेशानी भरा मामला होगा। बावजूद इसके तत्कालीन सरकार ने नियुक्ति आदेश में चार लाइन जोड़कर बीएड डिग्रीधारीयों को नौकरी दे दी।

जाहिर है, 2019 से लेकर 2023 के दौर में यह सारी गड़बड़ी हुई। बावजूद इसके सरकार के मंत्रियों और भाजपा के प्रवक्ताओं को जवाब देते नहीं बन रहा है। अलबत्ता, सरकारी पक्ष बैकफुट पर नजर आ रहा और विपक्ष हमलावर है।

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