Prashant Kishor Biography: कौन हैं प्रशांत किशोर? जिन्होंने बिहार की राजनीति मचाई सनसनी, 2014 में PM मोदी को भी दिलाई थी जीत

Prashant Kishor Biography: पीके के नाम जनसुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर का नाम आज भारत के किसी भी कोने में परिचय का मोहताज नहीं है. प्रशांत किशोर एक भारतीय रणनीतिकार और राजनेता हैं. जिन्होंने देश की कई प्रमुख सियासी दलों के लिए रणनीतिकार के रूप में काम किया है. लेकिन इस बार प्रशांत किशोर बीपीएससी 70वीं संयुक्त परीक्षा 2024 को लेकर चर्चा में आ गए हैं.
प्रशांत किशोर सड़कों पर आंदोलन कर रहे युवाओं के साथ जुड़ने गए थे. लेकिन ये उनपर ही भारी पड़ गया. प्रशांत किशोर को छात्रों ने वापस लौटने को कह दिया. दरअसल, उनपर छात्रों पर कंबल देने का एहसान जताने के आरोप लग गया है. प्रशांत किशोर ने छात्रों से कहा, अभी कंबल हमसे मांगे हो और हमसे ही नेतागिरी कर रहे हो. ” इतना ही नहीं उनपर आंदोलन हाइजैक करने और उनकी वजह से लाठीचार्ज होने का आरोप लगा है. छात्रों ने प्रशांत किशोर गो बैक के भी नारे लगाए. इस मामले में प्रशांत किशोर पर छात्रों को भड़काने के आरोप में केस भी दर्ज हुआ है. जिसके बाद से विपक्षी पार्टी ने प्रशांत किशोर पर निशाना साधना शुरू कर दिया. प्रशांत किशोर की राजनीती शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गयी.
कौन है प्रशांत किशोर
प्रशांत किशोर बिहार के रोहतास जिले के कोनार गांव के रहने वाले हैं. उनका जन्म 1977 में हुआ. उनके पिता श्रीकांत पांडेय डॉक्टर थे. इसके पहले भोजपुर जिले के शाहपुर में सेवा दिया करते थे. उनकी मां बक्सर से सटे उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की रहने वाली हैं. प्रशांत किशोर के एक और भाई और दो बहनें भी हैं. प्रशांत ने जाह्नवी दास से शादी की है। जाह्नवी पेशे से डाक्टर हैं। वे असम के गुवाहाही में पोस्टेड रही हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बक्सर से की है. प्रशांत किशोर ने हैदराबाद से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने पब्लिक हेल्थ में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद यूनाइटेड नेशंस बतौर ट्रेंड पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट काम करने चले गए. यूएन के लिए काम करते हुए उनकी पहली पोस्टिंग आंध्र प्रदेश में हुई. बाद में इनका तबादला बिहार हो गया. कुछ दिनों के बाद उन्हें यूएन के मुख्यालय में काम किया. अफ्रीका के देशों, भारत के कई राज्यों में भी काम किया.
ऐसे हुई राजनीतिक यात्रा की शुरुआत
प्रशांत किशोर की राजनीतिक यात्रा की शुरुआत 2011 में हुई. गुजरात में काम करने के दौरान उनकी मुलाक़ात तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से हुई. तब प्रशांत किशोर 34 वर्ष के थे. प्रशांत किशोर की प्रस्तुति के अंदाज ने नरेंद्र मोदी को प्रभावित किया. फिर वो नरेंद्र मोदी के करीब आये. गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चुनावी रणनीतियां बनाईं. उन्होंने उनके लिए ब्रांड मैनेजर का काम किया. नरेंद्र मोदी को 2014 के चुनाव में सफलता के दिलाने के बाद उन्होंने पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह, ममता बनर्जी, आम आदमी पार्टी और वाईएसआर कांग्रेस के लिए काम किया.
इतना ही नहीं 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन (राजद-जदयू-कांग्रेस) के लिए रणनीति बनाई. उन्होंने जितने भी पार्टी के लिए काम किया सबको जीत दिलाई. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कैप्टन अमरिंदर सिंह, 2019 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी आंध्र प्रदेश में जगन मोहन रेड्डी को जीत मिली. इसलिए उन्हें भारत का हर राजनीतिक दल उनकी अहमियत समझता है. उन्हें राजनीति का चाणक्य भी कहा जाता है.
दस सालों तक दूसरे के लिए काम करने के बाद प्रशांत किशोर ने खुद की पार्टी जन सुराज बनाई. प्रशांत किशोर ने अपने जन सुराज अभियान की शुरुआत 2024 में की. जिसका मुख्य उद्देस्य बिहार के बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा का मुद्दा है. जन सुराज का मिशन बिहार को सशक्त बनाना और इसकी अपार संभावनाओं को उजागर करना है. हम विभिन्न प्रकार की पहलों के माध्यम से ऐसा करते हैं, जिनका ध्यान इस पर केंद्रित है.






